मनोज यादव

भारतीय राजनीति में तकरीबन 45 साल से ज्यादा समय तक सक्रिय रहने वाले शरद यादव का 12 जनवरी को रात 10 बजकर 19 मिनट पर निधन हो गया. इसके बारे में उनकी बेटी सुभाषिनी यादव ने ट्वीट करके जानकारी दी. उसके बाद देश के प्रधानमंत्री से लेकर तमाम राज्यों के मुख्यमंत्रियों की तरफ से शोक संवेदनाएं आने लगीं.

शरद यादव संघर्ष के सेनानी और सामाजिक न्याय के पुरोधा रहे शरद यादव के बारे में आज की युवा पीढ़ी को शायद बहुत अधिक जानकारी न हो. लेकिन, गैर कांग्रेसी सरकारों में शरद यादव काफी पॉवरफुल नेता माने जाते रहे.

राजनीतिक सफर की शुरुआत

डॉ लोहिया के विचारों से प्रभावित शरद यादव 1974 में उपचुनाव में जबलपुर लोकसभा सीट से जीतकर संसद का रास्ता तय किया था.देश के तीन राज्यों से सांसद चुने जाने वाले शरद यादव का राजनीतिक कद काफी ऊंचा था.शरद यादव हमेशा समाज के अंतिम पंक्ति में खड़े व्यक्ति की आवाज बने रहे.

शरद यादव के साथ उनके जीवनीकार मनोज यादव.

शरद यादव के पूर्वज उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र के रहने वाले थे,लेकिन स्वतंत्रता संग्राम के वक्त अंग्रेजों ने उनके गांव पर धावा बोल दिया था. इसके बाद उनके पूर्वज मध्य प्रदेश के होशंगाबाद जिले में जाकर बस गए थे.शरद यादव का जन्म मध्य प्रदेश के होशंगाबाद जिले के बाबई तहसील के अखमऊ गांव में 1 जुलाई 1947 को हुआ था.

वंचितों की लड़ाई और शादी में देरी

शरद यादव को राजनीति का जुनून कुछ इस कदर सावर था कि पहले तो वे शादी भी नहीं करना चाहते थे.पहले उन्हें लगता था कि समाज के वंचितों और शोषितों की लड़ाई पहले बाकी की दुनियादारी बाद में.इसलिए उनका विवाह काफी देर से हुआ.शरद यादव की शादी तब हुई जब वे 40 साल के पार निकल गए थे.शरद यादव की पत्नी डॉ रेखा यादव (MSc, PhD) हैं.

शरद यादव की दो संतानें हैं.एक बेटी और एक बेटा. बेटी सुभाषिनी बिहार से कांग्रेस के टिकट पर विधानसभा का चुनाव भी लड़ चुकी हैं. बेटे का नाम शांतनु है. बेटी की शादी गुरुग्राम के एक राजनीतिक और व्यवसायी परिवार में हुई है.

उत्तर प्रदेश से मध्य प्रदेश गया परिवार

शरद यादव मध्य प्रदेश के रहने वाले थे,लेकिन उत्तर प्रदेश और बिहार से उनका गहरा नाता था.इन तीनों राज्यों से शरद यादव सांसद निर्वाचित हुए थे.मध्य प्रदेश की जबलपुर लोकसभा सीट से सांसद रहे.उत्तर प्रदेश की बदायूं सीट से 1989 में लोकसभा के सदस्य चुने गए. बाद में बिहार की मधेपुरा लोकसभा सीट से चार बार सांसद रहे.

‘शरद यादव: संघर्ष के सेनानी, राजनीतिक, सार्वजनिक और व्यक्तिगत जीवन का सफरनामा’ का कवर पेज.

शरद यादव राजनीति के मंझे हुए खिलाड़ी थे.शरद यादव समाजवादी होकर बीजेपी सरकार में भी केंद्रीय मंत्री रहे.अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में एनडीए के संयोजक रहे.कहा जाता है कि शरद यादव बिहार के मुख्यमंत्री नितीश कुमार के भी राजनीतिक गुरु रहे.

साल 1989 में बदायूं लोकसभा सीट से जब जीतकर आए,तो गैर कांग्रेस सरकार का गठन होना था.इसमें प्रधानमंत्री पद के दो दावेदार थे. चौधरी देवीलाल और विश्वनाथ प्रताप सिंह.इनमें से शरद यादव ने वीपी सिंह का साथ दिया.वीपी सिंह सरकार में शरद यादव कपड़ा मंत्री रहे.बकौल शरद यादव ने मंडल कमीशन की रिपोर्ट को लागू करवाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.

लेखक वरिष्ठ पत्रकार और शरद यादव की आधिकारिक जीवनी ‘शरद यादव: संघर्ष के सेनानी, राजनीतिक, सार्वजनिक और व्यक्तिगत जीवन का सफरनामा’ के लेखक हैं.

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