छत्तीसगढ़ में पिछड़ी जाति की एक महिला भागवत कथा वाचक को व्यास पीठ पर बैठक भागवत कथा कहने पर धमकी दी जा रही है. वो पिछले 22 साल से वो हिंदू धर्म के कर्मकांड करवा रही थीं. उन्होंने 2012 से भागवत कथावाचन का काम भी शुरू किया. अब उन्हें फोन कर धमकी दी जा रही है. उनसे कहा जा रहा है कि गैर ब्राह्मण को व्यास पीठ पर बैठने का अधिकार नहीं है.फोन करने वाले उनके भागवत कथा कहना छोड़कर मुजरा करने की सलाह दे रहे हैं. उन्होंने इसकी शिकायत पुलिस और प्रदेश के गृहमंत्री से की है. पुलिस ने उन्हें सुरक्षा उपलब्ध कराई है.
यह देश में जातिवाद की गहरी जड़ों की एक उदाहरण भर है. इसे देश में प्रधानमंत्री तो तेली हो सकता है. लेकिन भागवत कथा का वाचन एक तेली से सुनना इस देश के सवर्ण व्रग को स्वीकार नहीं है.