तमिलनाडु के त्रिपुर जिले के एक गांव के 60 ‘दलित’ पहली बार ‘कंबाला नैकेन स्ट्रीट’नाम की एक सड़क पर चले.

इस सड़क पर दलितों के चप्पल पहनकर तथाकथित ऊंची जाति के लोगों ने अलिखित पाबंदी लगा रखी थी. यहां तक की इस सड़क पर अनुसूचित जाति के लोगों को साइकिल से भी नहीं चलने की इजाजत नहीं है.

कहां का है यह मामला?

यह मामला तमिलनाडु जिले के त्रिपुर जिले के मादाथुकलम तालुका के राजावुर गांव का है. यहां अन्य पिछड़ा वर्ग के 60 लोगों ने चप्पल पहन कर करीब 300 मीटर लंबी ‘कंबाला नैकेन स्ट्रीट’पर चले.यह घटना रविवार की है. सड़क पर चलने वाले लोग नायकर जाति के लोग थे.यह अन्य पिछड़ा वर्ग में आने वाली एक जाति है.

इस गांव में करीब 900 घर हैं. इनमें से करीब 800 घर तथाकथित ऊंची जातियों के हैं.

इस गांव के निवासी 51 साल के मुरुगंदनम ने कई पीढियों से चली आ रही इस व्यवस्था के बारे में बताया.

क्या कहना है लोगों का?

एक दूसरे ग्रामीण ने बताया,”अरुंथथियार समुदाय के लोगों को सड़क पर चप्पल पहनकर चलने से रोक दिया गया था. अनुसूचित जाति के सदस्यों को जान से मारने की धमकियाँ दी गईं. उनके साथ मारपीट भी की गई. यहां तक ​​कि ऊंची जाति की महिलाओं ने भी धमकियां दीं और कहा कि अगर अनुसूचित जाति के सदस्य सड़क पर चप्पल पहनकर चलेंगे तो स्थानीय देवता उन्हें मौत के घाट उतार देंगे. हम दशकों से सड़क पर जाने से बच रहे थे और उत्पीड़न के तहत जी रहे थे. कुछ हफ़्ते पहले, हमने इस मुद्दे को दलित संगठनों के ध्यान में लाया.”

‘कंबाला नैकेन स्ट्रीट’पर चप्पल पहनकर चलने के बाद अब भी डरे हुए हैं दलित.

एक अन्य ग्रामीण ने बताया, “रविवार की देर रात, हम चप्पल पहनकर सड़क पर चले और दशकों से चले आ रहे उत्पीड़न को समाप्त किया.”

एससी वर्ग के एक अन्य सदस्य ने कहा, ”जब आजादी के बाद अस्पृश्यता पर प्रतिबंध लगा दिया गया था, तो ऊंची जाति के लोगों ने इस प्रथा को कायम रखने के लिए एक कहानी गढ़ी. इसमें कहा गया कि सड़क के नीचे एक वूडू गुड़िया को दफनाया गया है. अगर एससी वर्ग के लोग चप्पल पहनकर सड़क पर चलते हैं,वे तीन महीने के भीतर मर जाएंगे.एससी वर्ग के कुछ लोगों ने उन कहानियों पर विश्वास किया और सड़क पर बिना चप्पल के चलना शुरू कर दिया. यह प्रथा आज भी जारी है.”

मंदिर में भी जाने से रोक थी
तमिलनाडु अस्पृश्यता उन्मूलन मोर्चा (तिरुप्पुर) के लोग पिछले हफ्ते इस गांव में गए थे. इस दौरान कई दलित महिलाओं ने मोर्चा के लोगों से कहा कि वे उस विशेष सड़क में प्रवेश भी नहीं कर सकती हैं. इसके बाद मोर्चा ने इसका विरोध करने का फैसला किया. लेकिन पुलिस ने मोर्चा को इसकी इजाजत नहीं दी.

इसके बाद माकपा, वीसीके और एटीपी के पदाधिकारियों के साथ हमारे मोर्चे के सदस्यों ने सड़क के माध्यम से चलने और गांव में राजकलियाम्मन मंदिर में प्रवेश करने का फैसला किया. यह मंदिर दलितों के लिए सीमा से बाहर बना है.

रविवार शाम करीब 60 दलित चप्पल पहनकर सड़क पर चले.लेकिन उन्हें किसी ने नहीं रोका. इस अवसर पर स्थानीय पुलिस मौजूद थी. इस पदयात्रा के बाद से कुछ दलित डरे हुए हैं.

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