नत्सलवाद से प्रभावित छत्तीसगढ़ के एक आदिवासी छात्र को ‘गोल्ड मेडल’ से सम्मानित किया गया है. बस्तर के शहीद महेंद्र कर्मा विश्वविधायलय के दीक्षांत समारोह में राज्यपाल ने इस छात्र को गोल्ड मेडल और प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया.बहुत ही गरीब परिवार  से आने वाले छात्र के जीवन में एक ऐसा भी समय आया था, जब वो खेती-बाड़ी में पिता का हाथ बटाने के लिए पढ़ाई छोड़ने का मन बना चुका था. यह बात जब उसके एक प्रोफेसर को पता चली तो उन्होंने उसकी फीस भरने का बीड़ा उठाया. इतनी सी मदद का परिणाम यह हुआ कि आदिवासी छात्र ने पूरे विश्वविद्यालय में टॉप आकर गोल्ड मेडल हासिल किया.
नक्सल प्रभावित इलाके में रहता है परिवार
यहां हम बात कर रहे हैं छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले के तोंगपाल थाना क्षेत्र के निवासी चेतन कवासी की. वो चिउरवाड़ा के रहने वाले हैं. उनके माता-पिता किसान हैं. परिवार बहुत ही गरीब है. चेतन ने 8वीं तक की पढ़ाई गांव के ही स्कूल में की. इसके बाद 9वीं में उन्होंने अपना नाम तोंगपाल के हाई स्कूल में लिखाया. उन्होंने 12वीं तक पढ़ाई उसी स्कूल में किया.पिता खेती-किसानी कर उनकी फीस और किताब-कॉपी का बोझ उठाते थे. 12वीं पास करने के बाद चेतना का सपना था कॉलेज जाकर उच्च शिक्षा हासिल करना. लेकिन इसमें उनकी गरीबी आड़े आ रही थी. उनके पास कॉलेज में एडमिशन लेने तक के पैसे नहीं थे.पढ़ाई के प्रति उनकी रुचि देखकर उनके चाचा ने फीस देकर सुकमा के पड़ोस के जिले दंतेवाड़ा के पीजी कॉलेज में उनका दाखिला करवाया.
चेतन कॉलेज के हॉस्टल में ही रहने लगे.वो प्रतिदिन क्लास में जाते और मन लगाकर पढ़ाई करते थे. हालत यह थी कि छुट्टियों में जब सभी छात्र घर को जाते थे तो, चेतन अकेले हॉस्टल में रहकर पढ़ाई करते थे. उनके पास घर जाने तक पैसे नहीं होते थे. उनकी फोन पर मा-बाप से बात होती रहती थी. इस दौरान खराब होती घर की हालत के बारे में उन्हें पचा चलता. कई बार वो इससे परेशान हो उठते थे. पढ़ाई छोड़ने का ख्याल उनके मन में आता. एक बार उन्होंने पढ़ाई छोड़ने का अंतिम फैसला भी कर लिया. वो चाहते थे कि घर जाकर खेती-बाड़ी में पिता का हाथ बटाया जाए.
प्रोफेसर ने भरी फीस
यह बात जब उनके कॉलेज में इतिहास पढ़ाने वाली प्रोफेसर शिखा सरकार को पता चली तो उन्होंने चेतन की फीस भरने का फैसला किया. उन्होंने लगातार चेतन की फीस भरी. पीजी में चेतन ने विषय के रूप में इतिहास को चुना. उन्होंने साल 2020 के सत्र में 74 फीसदी नंबर लाकर पोस्ट ग्रेजुएट की डिग्री हासिल की.इतने नंबर के साथ उन्होंने विश्वविद्यालय को टॉप किया.
प्रोफेसर शिखा सरकार ने मीडिया को बताया कि उन्होंने सिर्फ मार्गदर्शन दिया,बच्चे की मेहनत ने इसे गोल्ड मेडल दिलवाया और मुझे सबसे ज्यादा खुशी है.उन्होंने कहा कि गोल्ड मेडल हासिल करना चैतन के लिए आसान नहीं था.हर दिन 12 से 15 घंटे तक पढ़ाई करता था,जब हॉस्टल के कमरे में साथी सो जाते तो बाहर बरामदे में बैठकर पढ़ाई करता था.
जब कॉलेज की प्रोफेसर ने चैतन को बताया कि उसे दीक्षांत समारोह में गोल्ड मेडल मिलने वाला है तो उन्होंने यह बात सबसे पहले अपने माता-पिता को बताई. पिता ने बेटे से सवाल पूछा कि ये गोल्ड मेडल क्या होता है? चैतन ने मीडिया से कहा कि घर जाकर उसने सबसे पहले माता-पिता के हाथों में ये मेडल रखूंगा और इसका महत्व बताउंगा.
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