दलित ख़बर ब्यूरो
कर्नाटक के मैसूर जिले के केंचलगुडु गांव के लक्ष्मीनारायणस्वामी मंदिर में दलितों के प्रवेश का विरोध किया जा रहा है. ये दलित आदि कर्नाटक समुदाय के सदस्य हैं.इनके लिए वाल्मीकि नायक समुदाय और अन्य ग्रामीणों ने गांव में एक नया मंदिर बनाया है.
नया मंदिर का निर्माण एक महीने के भीतर किया गया है.मंदिर को बनाने के लिए हर परिवार ने 5,000 से 15,000 रुपये का चंदा दिया है.
कहां का है मामला
मीडिया में आई खबरों के मुताबिक केंचलगुडु गांव में अनुसूचित जाति (आदि कर्नाटक) के 45 परिवार, अनुसूचित जनजाति (वाल्मीकि नायक) के 50 और अरासु समुदाय के 4-5 परिवार रहते हैं. गांव में कर्नाटक सरकार के मुजराई विभाग (मंदिरों का प्रबंधन देखने वाला विभाग) के तहत तीन मंदिर हैं, जहां नायक और अरासु समुदाय अनुष्ठानों में सक्रिय रूप से भाग लेते रहे हैं.
हालांकि लक्ष्मीनारायणस्वामी मंदिर मुजराई विभाग के अधिकार क्षेत्र में था, लेकिन अनुसूचित जाति के सदस्यों को हाल तक उसमें प्रवेश से वंचित रखा गया था. शिकायतों के बाद, मुजराई विभाग ने हस्तक्षेप किया. विभाग ने दो दिसंबर को अनुसूचित जाति के लोगों को मंदिर में प्रवेश की इजाजत दी.
सरकार की इजाजत से मंदिर में प्रवेश करने वाले लोगों का गांव में बहिष्कार का सामना करना पड़ा. इसके अगले दिन पंचायत ने उन्हें निष्कासित कर दिया.
क्या कहना है पीड़ित लोगों का
वाल्मीकि समुदाय के नेता मंचनायक ने कहा, “कुछ लोगों को हमारा पुराने मंदिर में प्रवेश पसंद नहीं आया. इसलिए, हमने एक नया मंदिर बनाया है ताकि हम उन लोगों से दूर रहें.नया मंदिर निजी भूमि पर बनाया गया है. यह मुजराई विभाग के अंतर्गत नहीं आता है.हम मंदिर में अपने नियम बना सकते हैं.”