दलित ख़बर ब्यूरो
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अयोध्या में बन रहे राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा की तारीखें नजदीक आती जा रही हैं. समारोह को लेकर विवाद भी बढ़ता जा रहा है.
ताजा विवाद मंदिर को बनाने वाले ट्रस्ट से जुड़े चंपत राय के एक बयान को लेकर आया है. राय ने एक मीडिया संस्थान को दिए इंटरव्यू ने कहा था कि अयोध्या में बन रहा राम मंदिर रामानंद संप्रदाय का है.उनके इस बयान के बाद उत्तराम्नाय ज्योतिषपीठ के जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती महाराज ने कहा है कि यदि राम मंदिर रामानंद संप्रदाय का है तो मंदिर संप्रदाय को सौंप देना चाहिए.उन्होंने कहा कि इसमें संत समाज को कोई आपत्ति नहीं होगी.इसके साथ ही उन्होंने चंपत राय ट्रस्ट से जुड़े सभी पदाधिकारियों से इस्तीफे की मांग की है.
क्या कहा है शंकराचार्य ने
जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने एक बयान में कहा है यदि राम मंदिर रामानंद संप्रदाय का है तो मंदिर संप्रदाय को सौंप देना चाहिए. उन्होंने कहा है कि इसमें पूरे संत समाज को कोई आपत्ति नहीं होगी.शंकराचार्य ने कहा कि चंपत राय सहित सभी पदाधिकारियों को इस्तीफा देना चाहिए.
शंकराचार्य ने कहा कि वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विरोधी नहीं हैं, बल्कि उनके हितैषी हैं, इसलिए उन्हें सलाह दे रहे हैं कि वे शास्त्र सम्मत काम करें. उन्होंने कहा है कि प्रधानमंत्री मोदी के विरोधी तो वे लोग हैं जो उनसे अशास्त्रीय काम करवाकर उनके अहित का मार्ग खोल रहे हैं.
शंकराचार्य ने स्पष्ट करते हुए कहा कि शंकराचार्यों का अपना कोई भी मंदिर नहीं होता है.वे केवल धर्म व्यवस्था देते हैं. चंपतराय को जानना चाहिए कि शंकराचार्य और रामानंद संप्रदाय के धर्मशास्त्र अलग-अलग नहीं होते. उन्होंने सवाल किया कि चंपत राय बताएं कि क्या रामानंद संप्रदाय अधूरे मंदिर में प्रतिष्ठा को शास्त्र सम्मत मानता है?
रामानंद संप्रयाद की अनदेखी का आरोप
उन्होंने चंपत राय के बयान पर कहा कि पहले उपेक्षा और अब प्रेम उमड़ रहा है.रामानंद संप्रदाय के प्रति उनकी आस्था को इस बात से समझा जा सकता है कि रामानंद संप्रदाय के निर्मोही अखाड़े के एक सदस्य को सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर ट्रस्ट में रखा गया और दूसरे सदस्य को नाममात्र का अध्यक्ष बनाकर बैठक के पहले दिन ही अभिलेखों में उनके हस्ताक्षर करने के अधिकार को भी छीन लिया गया था, यह सर्वविदित तथ्य है.
शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानं सरस्वती का यह बयान राम मंदिर ट्रस्ट के सचिव चंपतरात के उस बयान के बाद आया है,जिसमें उन्होंने अयोध्या में बन रहे राम मंदिर को रामानंद संप्रदाय का बताया था. उन्होंने कहा कि राम मंदिर शंकराचार्य शैव और शाक्त का नहीं है.
राय के इस बयान पर शंकराचार्य ने कहा यदि राम मंदिर रामानंद संप्रदाय से जुड़े लोगों का है तो इस मंदिर को प्रतिष्ठा से पूर्व रामानंद संप्रदाय से जुड़े लोगों को दे दिया जाना चाहिए. इस पर किसी को कोई आपत्ति नहीं होगी. इसके अलावा उन्होंने कहा कि चंपतराय के अलावा सभी पदाधिकारियों को इस्तीफा भी देना चाहिए.
शंकराचार्य ने किस बात की जताई आशंका
शंकराचार्य ने अपने बयान में कहा कि चारों पीठों के शंकराचार्यों को कोई राग द्वेष नहीं है,लेकिन उनका मानना है कि शास्त्र सम्मत विधि का पालन किए बिना मूर्ति स्थापित किया जाना सनातनी जनता के लिए अनिष्टकारक होने के कारण उचित नहीं है.
उन्होंने कहा कि पूर्व में तत्कालीन परिस्थितियां ऐसी थीं कि बिना मुहूर्त के ही राम जी की मूर्ति को सन 1992 में स्थापित किया गया था. लेकिन वर्तमान समय में स्थितियां अनुकूल हैं, ऐसे में उचित मुहूर्त और समय का इंतजार किया जाना चाहिए.
उन्होंने कहा कि आधे-अधूरे मंदिर में भगवान को स्थापित किया जाना न्यायोचित और धर्म संम्मत नहीं है. शंकराचार्य ने कहा कि निर्मोही अखाड़े को पूजा का अधिकार दिए जाने के साथ ही रामानंद संप्रदाय को मंदिर व्यवस्था की जिम्मेदारी दी जानी चाहिए.
अयोध्या में बन रहे राम मंदिर का प्राण प्रतिष्ठा समारोह 22 जनवरी को आयोजित किया जाएगा.इसके मुख्य यजमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी होंगे.